First Job है तो जरूर जान लीजिए सैलरी स्लिप से जुड़ी ये बातें, जानिए इसमें में किन-किन चीजों को शामिल किया जाता है?
बेसिक सैलरी के अलावा कर्मचारी को मिलने वाले कई तरह के लाभ का जिक्र सैलरी स्लिप में किया जाता है. इसलिए अपनी सैलरी स्लिप को ठीक से समझना बहुत जरूरी है.
अगर आप नौकरीपेशा वाले हैं तो सैलरी स्लिप (Salary Slip) के महत्व को आप बहुत अच्छी तरह से समझते होंगे. सैलरी स्लिप के जरिए व्यक्ति की वास्तविक सैलरी का पता चलता है. नौकरी बदलनी हो, क्रेडिट कार्ड या लोन के लिए अप्लाई करना हो, तो आपसे सैलरी स्लिप की डिमांड की जाती है. बेसिक सैलरी के अलावा कर्मचारी को मिलने वाले कई तरह के लाभ का जिक्र सैलरी स्लिप में किया जाता है. इसलिए अपनी सैलरी स्लिप को ठीक से समझना बहुत जरूरी है. खासतौर से जो लोग पहली बार जॉब कर रहे हैं, उन्हें अपनी सैलरी स्लिप को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए, ताकि कहीं भी कोई कन्फ्यूजन की स्थिति न रहे. जानिए क्या-क्या चीजें शामिल होती हैं आपकी सैलरी स्लिप में-
बेसिक सैलरी
सैलरी स्लिप में सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है आपकी बेसिक सैलरी क्योंकि आपको तमाम लाभ बेसिक सैलरी के आधार पर ही दिए जाते हैं. बेसिक सैलरी आपकी कुल सैलरी का 35 से 50 फीसदी तक हो सकती है. ये पैसा टैक्स योग्य होता है.
हाउस रेंट अलाउंस
आपकी बेसिक सैलरी के हिसाब से ही हाउस रेंट अलाउंस दिया जाता है. आपको बेसिक सैलरी का 40 से 50 फीसदी तक एचआरए के रूप में दिया जा सकता है. ये सैलरी स्लिप का एक प्रमुख टैक्सेबल कंपोनेंट होता है.
महंगाई भत्ता
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महंगाई भत्ता आपकी बेसिक सैलरी के हिसाब से अलग-अलग होता है. लेकिन जैसे ही महंगाई भत्ता 50 फीसदी तक पहुंचता है, इसे शून्य कर दिया जाता है और 50 फीसदी के अनुसार जो पैसा भत्ते के रूप में कर्मचारियों को मिल रहा होगा, उसे बेसिक सैलरी यानि न्यूनतम सैलरी में जोड़ दिया जाता है.
कन्वेंस अलाउंस
कन्वेंस अलाउंस कंपनी आपको तब देती है जब आप कंपनी के किसी काम की वजह से ट्रैवल करते हैं. इसमें जो पैसा आप खर्च हुआ, वो आपको कैश इन हैंड सैलरी में जुड़कर मिल जाता है. इसका मतलब ये कि अगर आपको 1,600 रुपए तक Conveyance Allowance मिलता है तो इस पर आपको टैक्स नहीं देना पड़ेगा.
लीव ट्रैवल अलाउंस
लीव ट्रैवल अलाउंस जिसे अक्सर लोग LTA कहते हैं. LTA में कंपनियों की तरफ से छुट्टियों पर गए कर्मचारी और उसके परिवार के देश में कहीं घूमने जाने पर हुए खर्च की भरपाई होती है. LTA में मिलने वाला पैसा टैक्स फ्री होता है. लीव ट्रैवल अलाउंस की राशि का निर्धारण आपकी कंपनी का HR एंड फाइनेंस डिपार्टमेंट आपकी रैंक और पद के हिसाब से करता है.
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मेडिकल अलाउंस
सर्विस के दौरान मेडिकल खर्च के भुगतान के रूप में नियोक्ता अपने कर्मचारी को मेडिकल अलाउंस देता है. लेकिन ये अलाउंस आपको बिल के बदले मिलता है. यानी आपके मेडिकल खर्च की रसीद आपको प्रूफ के तौर पर देनी होती है. टैक्स की दृष्टि से 15,000 रुपए के सालाना मेडिकल बिल करमुक्त हैं.
स्पेशल अलाउंस
स्पेशल अलाउंस एक तरह का रिवॉर्ड होता है, जो एम्प्लॉई को मोटिवेट करने के लिए दिया जाता है. लेकिन सभी कंपनियों की अलग-अलग परफॉर्मेंस पॉलिसी होती है. वहीं ये पूरी तरह से टैक्सेबल होता है.
परफॉर्मेंस बोनस
कर्मचारियों के काम की परफॉर्मेंस पर Variable Pay और Performance Bonus डिपेंड करता है. आपका परफॉर्मेंस कंपनी में काम करने पर कैसा है उस बेसेस पर आपको Monthly, quarterly और annual bonus या टार्गेट वेरिएबल पे चुकाया जाता है. नियोक्ता ये तय करता है कि आपको कितना बोनस दिया जाएगा.
प्रोविडेंट फंड
हर महीने आपकी सैलरी से प्रोविडेंट फंड काटा जाता है. ये आपकी बेसिक सैलरी और डीए का 12 फीसदी हिस्सा होता है. इसके अलावा इतनी ही राशि नियोक्ता की ओर से भी आपके अकाउंट में जमा की जाती है.
प्रोफेशनल टैक्स
इसमें आपके टैक्स स्लैब के मुताबिक आपकी सैलरी का कुछ अंश काटा जाता है. ये एक अप्रत्यक्ष कर है. ये केवल कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, असम, छत्तीसगढ़, केरल, मेघालय, ओडिशा, त्रिपुरा, झारखंड, बिहार और मध्य प्रदेश में मान्य है.
11:34 AM IST